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आसन की साधना

“आसन की साधना” प्रयत्नशैथिल्यानन्तसमापत्तिभ्याम् ॥ 47 ॥ प्रयत्न की शिथिलता और असीम पर ध्यान से आसन सिद्ध होता है। आसन को सिद्ध करने के लिए प्रयत्न की शिथिलता पहली बात

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योगासन – शरीर का अतिक्रमण’

 योगासन –” शरीर का अतिक्रमण “ स्थिरसुखमासनम् ॥ 46 ॥स्थिर और सुखपूर्वक बैठना आसन है। पतंजलि के योग को बहुत गलत समझा गया है, उसकी बहुत गलत व्याख्या हुई है।

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योग का लक्ष्य: अस्तित्व से अखंडता की ओर

स्वयं की खोज, दुःख से मुक्ति और वर्तमान में जीने की विधि अस्तित्व से जुड़ाव: योग का वास्तविक उद्देश्य योग का लक्ष्य अस्तित्व की अखंडता से जुड़ना है। वर्तमान में

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जीवन और योग भाग ३

जीवन और योग भाग ३

जीवन और योग भाग ३ प्रेम: वास्तविकता और दिखावा क्या आप सच में प्रेम करते हैं या केवल दिखावा? यह सवाल बहुत गहरा और महत्वपूर्ण है। हममें से अधिकतर लोग

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जीवन और योग भाग २

पातञ्जल समाधियोग: सत्य की खोज और आत्मज्ञान का मार्ग सत्संग का वास्तविक अर्थसत्संग का मतलब है सत्य को प्राप्त प्रामाणिक और संयमित व्यक्ति के साथ होना। लेकिन बोध (ज्ञान) की

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जीवन और योग भाग १

मनुष्य की सहजता और योग का मार्गगंभीरता का बोझ: क्या हम स्वयं से दूर हो रहे हैं?मनुष्य को सदियों से गंभीर होने की शिक्षा दी जा रही है। मनुष्य की

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